Tuesday 8 January 2013

चिंतकों का सौन्दर्यबोध
डॉ. कन्हैया त्रिपाठी

भारत समेत दुनिया के लोग अपने-अपने ढंग से जीते हैं. उनके जीने की कला खुद की एक दुनिया को परिभाषित करती है. वास्तव में उनके जीने की पद्धति ही खुद में उनका सौन्दर्यबोध और मूल्यबोध की तरह होता है. सुन्दर होने के लिए दैहिक सौन्दर्य की आवश्यकता नहीं होती बल्कि सौन्दर्यशास्त्री ये कहते हैं की सुन्दर का सौन्दर्यबोध मूल्यगत होता है. इसका प्रमाण हमें हाल ही में प्रकाशित हुई अंतर्राष्ट्रीय पत्रिका फारेन पॉलिसी में देखने को मिलता है. इसमें जिन सौ चिन्तक लोगों का नाम दर्शाया गया है वह लोग दुनिया को अभिव्यक्त करते हैं. इसमें आंग सांग सू ची को पहला स्थान पत्रिका ने दिया  है. हम सभी जानते हैं कि सू ची एक ऐसी महिला हैं जो लोकतंत्र के लिए वर्मा (म्यांमार) में वर्षों से जेल में रहीं और उन्होंने कभी भी अपने मूल्यों से समझौता नहीं किया. छठें स्थान पर मलाला को जगह दी गयी है और दुनिया के सबसे ताकतवर बराक ओबामा उसके बाद इस पत्रिका में स्थान पाए हैं. मलाला वह लड़की है जो महिलाओं के शिक्षा के लिए उन कट्टर लोगों से जंग की और उसके लिए उसे अपने जीवन और मौत के बीच भी संघर्ष करना पड़ा.
दरअसल, इन चिंतकों में अपने-अपने अनुसार लोकतंत्र, सामाजिक न्याय, मनुष्य की गरिमा, उनके आर्थिक समृद्धता, सामाजिक समरसता और सद्भावना की कोशिश करने वालों को स्थान मिला है. उन्हें स्थान मिला है जो समय को प्रभावित करने वालों में सुमार किये जा रहे हैं. और यह कहना गलत न होगा की इन सभी ने अक तरह से मूल्यों को स्थापित किया है. मूल्यों के साथ जीवन जीना, जीवन के साथ मूल्य को सतत बनाए रखना बहुत आसान नहीं है. और यह कम लोगों में माद्दा होता है की वह अपने जीवन में भौतिकवादी सोच और सुख से मुक्ति लेकर दूसरों के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर करने के लिए तत्पर हों. सू ची, थिएन सीइन, मोंकेफ़ मर्ज़ुकी, बिल क्लिंटन, हिलेरी क्लिंटन, सेबास्तिएन थरुन, बिल गेट्स, मिलिंडा गेट्स, मलाला यौसफ्जई, बराक ओबामा, पॉल रयान, चेन गंग्चेंग, डेविड ब्लान्केनहॉर्न, नारायण कोचेर्लाकोटा और  रिचर्ड अ मूलर ये कुछ ऐसे लोग हैं जिन्हें पत्रिका ने प्रथम दस शीर्ष चिंतकों में शामिल किया है. हो सकता है की यह आम सहमति का मुद्दा नहीं हो और पत्रिका की राय मानी जाय लेकिन सू ची और मलाला के नाम पर कोई संदेह किसी को नहीं हो सकता. एक दिलचस्प बात यह है की भारत के बिहार प्रांत के मुख्य मंत्री नितीश कुमार को सत्रहवें और रघुराम राजन को अस्सीवें स्थान पर सामाजिक उन्नति के सन्दर्भ में याद किया गया है. सोच का अभिविन्यास कुछ भी बने लेकिन अंतर्राष्ट्रीय पत्रिका फारेन पॉलिसी का यह सौ लोगों का दुनिया अपने अनुसार संपादित करने और कुछ कर गुजरने वाले लोगों का सम्मान है. यह एक तरह से उनके सौन्दर्य का प्रकाशन है. प्रायः अपने तक लोगों की बनती सोच, लूट कर धनी बन जाने की प्रवृति रखने वाले लोगों के लिए सीख है.


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